एक बार अकबर को सुदूर देश के राजा के द्वारा भेजी हुई एक चिट्ठी मिली, जिसमें लिखा था,
"क्या आप बता सकते हैं कि आगरा की सड़कों पर कितने मोड़ हैं?"
इस विषय में अकबर ने अपने मंत्रियों से सलाह ली।
उन्होंने यह कार्यभार मंत्री टोडरमल को सौंपने के लिए कहा।
अकबर ने टोडरमल से बात की और एक महीने के भीतर इस कार्य को पूरा करने के लिए कहा।
बीरबल के आने पर अकबर ने पत्र की बात तथा टोडरमल को कार्यभार सौंपने की बात बताई।
बीरबल ने पत्र पढ़ा और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा।
अकबर ने पूछा, "क्या बात है, बीरबल?”
बीरबल ने कहा, “महाराज! मैं अभी बता सकता हूँ कि आगरा में कितने मोड़ हैं।
यही नहीं मैं विश्व के किसी भी राज्य के मोड़ों
की गिनती बता सकता हूँ।”
“ अरे वाह! बीरबल तुम यह कैसे जानते
हो?” “महाराज, यह तो बड़ी ही सीधी-सी बात है, केवल दो ही मोड़ हैं दाहिना और बाँया ।
” उत्तर
सुनते ही अकबर की हँसी फूट पड़ी ।
अकबर बीरबल के प्रति गर्व से भर उठे और उसे स्वर्ण मुद्राओं का उपहार दिया।