मेरी मातृभाषा क्या?

एक बार एक अजनबी अकबर के दरबार में आया और दरबारियों से उनकी

" अब मातृभाषा में बात कर करतब दिखाने लगा।

उस व्यक्ति ने कहा, क्या कोई बता सकता है कि मेरी मातृभाषा क्या है?”

दरबारियों ने कई भाषाओं के नाम लिए पर किसी ने भी सही उत्तर नहीं दिया।

तब बीरबल ने उस अजनबी से कहा, “आज तुम विश्राम क्यों नहीं करते हो?

हम कल पुनः चर्चा करेंगे।" अजनबी मान गया।

बीरबल ने अकबर से कहा कि उसकी मातृभाषा जानने की एक योजना उसके पास है।

उस रात महल में सभी सो रहे थे।

बीरबल ने भूत का वेष धरा और उस अजनबी के कमरे में गया।

अजनबी अचानक से उठा और उस भूत को देखकर डर गया।

उसने उड़िया भाषा में प्रार्थना करना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद बीरबल ने अपने स्वाभाविक रूप में आकर उससे कहा, " तुम उड़ीसा के हो ।

एक व्यक्ति कई भाषाएँ बोल सकता है पर भय की अवस्था में वह अपनी मातृभाषा ही बोलता है।

अकबर ने भी सामने आकर बीरबल की बुद्धिमानी की खूब प्रशंसा की।