बीरबल और दो चोर

एक बार दो चोर व्यापारी का रूप धरकर एक सौदागर के पास अपने रत्नों को बेचने गए।

उन्होंने कहा, “जब हम दोनों तुम्हारे पास साथ-साथ आएँ तभी इसका पैसा हमें देना।” कुछ

समय के बाद पहले व्यापारी बने चोर ने वापस आकर कहा,

"हमें एक खरीददार मिल गया है, कृपया हमारे रत्न हमें दे दो।”

सौदागर ने कहा, “तुम अपने साथी के साथ आना तब मैं तुम्हें तुम्हारा रत्न दे दूँगा।”

“पहले व्यापारी बने चोर ने कहा वह अत्यन्त व्यस्त है, इसलिए उसने मुझे रत्नों को लाने भेजा है।"

आश्वस्त होकर सौदागर ने उस व्यापारी को उसका रत्न दे दिया।

दो घंटे बाद दूसरा व्यापारी बना चोर आकर अपने रत्नों को माँगने लगा।

सौदागर ने बताया कि उसका साथी रत्नों को ले गया।

यह सुनकर चोर ने क्रुद्ध होकर कहा, “मैंने तो उसे नहीं भेजा था।

अब मुझे उसका मूल्य दो या सजा के लिए तैयार हो जाओ।"

सौदागर ने उसे पैसे देने से मना कर दिया।

चोर, बीरबल के पास गया।

झगड़े का कारण सुनने के बाद बीरबल ने चोर से कहा, “अपने साथी के साथ आकर पैसे ले जाओ।"

चोर मात खा चुका था।

वह साथी को लाने जा रहा है यह कहकर भागा और फिर कभी लौटकर नहीं आया।