बादशाह के पास एक पालतू तोता था।
उन्होंने अपने सेवक को निर्देश दिया, “मेरे तोते का ध्यान रखो और ढंग से खाना खिलाओ।
यदि तुमने कभी मुझे कहा कि उसकी मृत्यु हो गई है, तो मैं तुम्हें सजा दूँगा।"
सेवक तोते का पूरा ख्याल रखता था।
पर एक दिन तोता मर गया।
सेवक ने भयभीत होकर सोचा, “यदि मैं बादशाह को तोते की मृत्यु की सूचना दूँगा तो बादशाह मुझे सजा देंगे।"
यह विचारकर उसने बीरबल से सहायता माँगी।
कुछ समय के बाद बीरबल ने अकबर से जाकर कहा, “महाराज ! तोता... कृपया आप चलकर देखें...”
अकबर चिंतित हो उठे और बीरबल के साथ गए।
उन्होंने देखा कि तोता पिंजरे में शांत पड़ा हुआ है, हिल-डुल भी नहीं रहा है।
बीरबल ने कहा, “मुझे लगता है कि तोता प्रार्थना कर रहा है।”
अकबर ने कहा, “तुम्हें पता नहीं है... तोता मर चुका है। मुझे यहाँ लेकर
आने की जगह तुम यह बात मुझसे कह भी सकते थे।"
इस पर बीरबल ने कहा, "महाराज! आपने कहा था कि जिसने भी उसकी मृत्यु की सूचना दी उसे सजा मिलेगी।"
तब अकबर को याद आया कि उन्होंने सेवक से क्या कहा था।
अकबर मुस्कराए और चले गए।