एक दिन अकबर और बीरबल दोपहर का भोजन साथ-साथ कर रहे थे।
अकबर को मज़ाक सूझा।
उन्होंने कहा, “बीरबल बैंगन की तरकारी से अच्छी और कोई तरकारी नहीं होती है न?"
बीरबल ने उत्तर दिया,
“जी महाराज! आप सही कह रहे हैं।
किसी भी सब्ज़ी से अधिक बैंगन
की सब्ज़ी (तरकारी) स्वादिष्ट होती है।"
बीरबल का उत्तर सुनकर अकबर अत्यंत प्रसन्न हुआ।
कुछ दिनों बाद अकबर दोपहर का भोजन कर रहे थे।
अचानक उन्होंने कहा, "बीरबल, बैंगन की तरकारी एकदम स्वादिष्ट नहीं है, बड़ा ही अजीब स्वाद है।
अन्य तरकारियाँ अधिक स्वादिष्ट हैं।"
"जी महाराज! आप एकदम सही कर रहे हैं- बैंगन की तरकारी का स्वाद अजीब ही है"- बीरबल ने उत्तर दिया। "
आह! मैंने तुम्हारा झूठ पकड़ लिया।
कुछ दिन पहले जब हम दोनों साथ खाना खा रहे थे तब तुम मुझसे सहमत थे कि बैंगन की तरकारी स्वादिष्ट होती है
पर आज स्वाद के विषय में तुमने अपना मन बदल लिया।"
बीरबल ने कहा, “जी महाराज! मैंने अपना विचार आपके विचार से मिलाने के लिए बदल दिया।
मैं आपका सेवक हूँ बैंगन का नहीं।
" बीरबल के चतुरतापूर्ण उत्तर पर बादशाह ने ज़ोर का ठहाका लगाया।