एक बार की बात है, फ़ारस के बादशाह ने अकबर के पास एक नकली शेर एक बड़े से पिंजरे में भिजवाया।
उसके साथ भेजे गए पत्र में लिखा था, “यदि पिंजरे को खोले
या तोड़े बिना कोई शेर को बाहर निकाल देगा,
तो मैं समझँगा कि आपके राज्य में कोई बुद्धिमान व्यक्ति है।
" अकबर के दरबारियों ने इस गुत्थी को सुलझाने की चेष्टा की पर सभी असफल रहे।
बीरबल के आने पर अकबर ने उसे पिंजरे और शेर के विषय में बताया।
पत्र पढ़कर बीरबल ने पिंजरे और शेर पर नज़र डाली।
उसने सेवक से एक गरम सरिया मँगवाया।
उस गर्म सरिए से उसने शेर को छुआ।
धीरे-धीरे शेर पिघलने लगा और पिंजरा खाली हो गया।
अचंभित अकबर ने कहा, "बीरबल, तुम्हें कैसे पता चला कि शेर मोम का बना हुआ था?"
“पत्र में लिखा था कि न तो पिंजरे को खोलना है और न ही नुकसान पहुँचाना है पर शेर को सुरक्षित रखने की कोई बात नहीं थी।
इसलिए मुझे मोम का शेर बने होने की शंका हुई, "बीरबल ने कहा।
खाली पिंजरा अकबर ने फ़ारस के बादशाह के पास भिजवाया।
उन्होंने बीरबल की बुद्धिमानी की खूब तारीफ़ की।