मुल्ला दो प्याजा बादशाह के सलाहकार और मंत्री थे।
एक बार बादशाह से उनकी झड़प हो गई।
गुस्से में अकबर ने मुल्ले का सिर काटकर अगले दिन उसे पेश करने का आदेश दे दिया।
भयभीत मुल्ला ने बीरबल
से मदद माँगी। बीरबल ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनका कोई अहित नहीं होगा।
बीरबल को एक
उपाय सूझा, जिसे उसने मुल्ला के कान में बताया।
उसके अनुसार मुल्ला ने सिपाहियों को
समझा लिया कि वे उन्हें अकबर के सामने जीवित ही ले चलें। पर ज्यों-ही
अकबर ने मुल्ला को जीवित देखा वह सिपाहियों पर चिल्ला
उठे, “मैंने मुल्ला का सिर दरबार में लाने की आज्ञा दी थी, तुम लोग उसे जीवित क्यों लाए हो?"
सिपाही कुछ कह पाते उससे पहले ही मुल्ला ने कहा, “महाराज!
यह सिपाहियों की गलती नहीं है।
मैंने जैसा कहा उन्होंने वैसा ही किया।
मुझे चिंता थी कि शायद वे आपकी आज्ञा का पालन ठीक से नहीं कर पायें,
इसलिए मैंने इस काम को स्वयं ही करने की सोची और अपने सिर को अपने कंधों पर ले आया।'
अकबर समझ गए कि उन्होंने जल्दबाजी में ऐसी आज्ञा दे दी थी।
उन्होंने मुल्ला को क्षमा कर सज़ा मुक्त कर दिया।