बीरबल ने यात्रा छोटी की

एक बार अकबर अपने दरबारियों के साथ खूब लंबी यात्रा करके किसी उत्सव में भाग लेने के लिए दूसरे राज्य में पहुँचे।

अचानक से गरमी बढ़ गई और पालकी में बैठे अकबर गर्मी से पसीने-पसीने हो गए।

थके हुए अकबर चिल्लाए, “क्या कोई यात्रा छोटी कर सकता है?”

दरबारियों ने एक-दूसरे से कहा, “हुँहऽऽऽ... हमलोग भला यात्रा कैसे छोटी कर सकते हैं?"

बीरबल ने उत्तर दिया, “मैं आपके लिए यात्रा छोटी कर दूँगा, किन्तु पहले आपको मेरी कहानी सुननी होगी।”

अकबर ने सहमति दे दी। बीरबल ने कहानी सुनानी शुरू की।

शीघ्र ही बादशाह और दरबारी उस मनोरंजक कहानी को सुनने में इतने मग्न हो गये कि उन्हें रास्ते का पता ही नहीं चला।

कुछ देर के बाद बीरबल की कहानी समाप्त हुई।

अकबर ने प्रसन्न होकर कहा, “बीरबल कृपया एक और कहानी सुनाओ।"

बीरबल ने कहा, “वापस चलते समय मैं आपको दूसरी कहानी सुनाऊँगा।

अभी हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए हैं।" अकबर ने कहा, “वाह! इतनी

जल्दी? बीरबल, मुझे तो पता भी नहीं चला।

तुम्हारी कहानी ने यात्रा छोटी कर दी।"

अकबर ने बीरबल से प्रसन्न होकर पुरस्कार दिया।