जहाँ के तहाँ

एक दिन एक ज्योतिषी ने अकबर के दरबार में आकर सौर प्रणाली और पृथ्वी के आकार के विषय में बताया।

अकबर ने कहा, “चूँकि पृथ्वी गोल है, यदि एक व्यक्ति एक ही दिशा में चलता जाए तो जहाँ से उसने यात्रा शुरू की थी वहीं पहुँच जाएगा।”

ज्योतिषी ने कहा, “यह संभव नहीं है।"

"क्यों नहीं संभव है?"

“यात्री को सीधे रास्ते पर चलने के लिए पर्वत, जंगल और समुद्र को पार करना पड़ेगा।"

अकबर ने कहा, “वह समुद्र में जहाज से जा सकता है, पर्वत में सुरंग बना सकता है और हाथियों पर जंगल पार कर सकता है।"

ज्योतिषी ने कहा, “पर इसमें तो वर्षों लग सकते हैं।”

अकबर ने पूछा, “अंदाजन कितने वर्ष लग सकते हैं?”

“मुझे सही अनुमान नहीं है।"

"मेरे मंत्री विद्वान् हैं, वे बता सकते हैं।"

पर मंत्रियों के पास भी इसका कोई उत्तर न था।

तभी बीरबल ने खड़े होकर कहा, “मैं एक दिन में पहुँच जाऊँगा।”

ज्योतिषी ने पूछा, “केवल एक दिन ?

यह कैसे संभव है?"

मुस्कराते हुए बीरबल ने कहा, “यह संभव है।

यदि सूर्य की गति से यात्रा की जाए तो।