प्रेम या भय

एक दिन अकबर ने कहा, "मेरी प्रजा मुझे प्यार करती है और इसीलिए मेरी आज्ञा मानती है।

" बीरबल ने कहा, “जी, पर प्रजा आपसे डरती भी है।

" अकबर ने बीरबल से इसे साबित करने के लिए कहा।

तब बीरबल ने एक घोषणा की, “राजा की आज्ञा है कि प्रत्येक परिवार से एक कटोरा दूध महल के द्वार पर रखे हुए टब में डाला जाए।

लोगों ने सोचा कि राजा तो टब को देखेंगे नहीं, अतः उन्होंने दूध की जगह पानी डाल दिया।

अकबर पानी से भरे टब को देखकर हैरान रह गया।

बीरबल ने फिर दूसरी घोषणा की, “सभी परिवार को एक कटोरा दूध टब में डालना है, राजा ने सब पर नज़र रखी हुई है।

" इस बार लोग डर गए और टब में दूध डाला।

उस शाम दूध से भरे टब को देखकर अकबर आश्चर्यचकित रह गया।

बीरबल ने कहा, "महाराज! मेरा विचार इस

बात से साबित होता है। लोग आपसे डरते हैं, इसीलिए जब उन्हें पता चला कि आपने उन पर नज़र रखी हुई है।

तब उन्होंने पानी की जगह दूध डाला।" अकबर समझ गया कि डर से ही लोगों में अनुशासन रहता है।