एक शाम अकबर ने अपने दरबारियों से कहा, “मैं आपसे एक प्रश्न
"
पूछूंगा। जिसका उत्तर सही होगा उसे मोतियों का हार मिलेगा।'
उत्साहित दरबारी प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहे थे।
“ऐसा क्या है जिसे सूरज या चाँद नहीं देख सकते?”
दरबारियों ने एक-दूसरे को देखा।
उन्होंने सोचा, अपनी बुद्धिमता साबित करने का यह एक अच्छा अवसर है।
पर उन्हें उत्तर समझ नहीं आया।
रात घिर आई थी।
दरबारी घर जाना चाहते थे।
इसलिए उन्होंने अकबर से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर उनके पास नहीं है।
अकबर ने कहा, “मैं अत्यंत क्षुब्ध हूँ कि आप में से किसी के पास भी इसका उत्तर नहीं है।
बीरबल, तुम क्या कहते हो?
तुम्हारे पास भी क्या उत्तर नहीं है?"
पल भर सोचकर बीरबल ने कहा, “महाराज! आपके प्रश्न का उत्तर अंधकार है।
अंधकार सूरज और चाँद के द्वारा भी नहीं देखा जा सकता है।
” उत्तर सुनकर अकबर ने प्रसन्न होते हुए कहा, “बीरबल, तुम सही हो ।
” पुरस्कार स्वरूप बीरबल को मोतियों का हार मिला जबकि शेष दरबारी शर्मसार रहे।