शस्त्र या समझदारी

एक दिन अकबर और बीरबल किसी जंगल से होकर जा रहे थे।

तभी अकबर ने पूछा, “ मुसीबत में पड़ने पर तुम क्या प्रयोग करोगे?

अपनी समझ या शस्त्र ?

बीरबल ने उत्तर दिया, “महाराज! समझ।

क्योंकि वही मुझे मुसीबत से निकालेगी।

" अकबर का कहना था कि मुसीबत पड़ने पर केवल शस्त्र ही रक्षा कर सकता है।

दोनों में इस बात को लेकर बहस हो ही रही थी कि उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी।

बीरबल ने कहा, “यह एक हाथी की आवाज़ है।

” ठीक तभी अकबर ने गहरी साँस ली और फुसफुसाकर बीरबल से कहा, “तुम्हारे पीछे एक हाथी है।

" अकबर ने फिर कहा, “बीरबल चिंता मत करो।

हाथी से आई मुसीबत से मेरी तलवार रक्षा करेगी।

” “नहीं महाराज! तलवार पर्याप्त नहीं है।

हमें पेड़ पर चढ़ जाना चाहिए।

" अपनी तलवार लहराते समय अकबर को लगा कि छोटी-सी तलवार के सामने हाथी बहुत बड़ा है।

उन्होंने बीरबल से कहा, “अच्छा होगा हम उस पेड़ पर चढ़ जाएँ।

” ज्यों-ही वे पेड़ पर चढ़े हाथी चुपचाप चला गया।

पेड़ की चोटी पर बैठे-बैठे अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम सही थे।

किसी भी प्रकार के खतरे से बचाने के लिए शस्त्र से कहीं अच्छी समझदारी है।"