सच्ची तस्वीर

एक बार शाही चित्रकार ने बीरबल से कहा,

“कुछ महीने पहले एक व्यापारी ने मुझसे अपनी तस्वीर बनाने को कहा।

तस्वीर तैयार होने पर उसने अपनी दाढ़ी में गलती निकाली।

मैंने दूसरी तस्वीर बनाई पर उसमें उसने कान में गड़बड़ी बताई।

ऐसा पाँच बार हुआ। मैं, जो भी तस्वीर बनाता, उसमें वह गलती निकालता।

वह मुझे पारिश्रमिक भी नहीं दे रहा है।

कृपया मेरी सहायता करें।

" बीरबल उस तस्वीर को देखकर आश्चर्यचकित रह गया।

वह बहुत ही सुंदर थी।

उसने चित्रकार की सहायता करने का निश्चय किया और एक युक्ति सोची।

वे दोनों व्यापारी के घर गए।

चित्रकार ने व्यापारी से कहा, “ श्रीमान्, मैं ऐसा कुछ लाया हूँ, जिसमें आपका चेहरा एकदम सही दिखेगा।"

यह कहकर चित्रकार ने एक शीशा निकाला।

व्यापारी ने उसमें अपना प्रतिबिम्ब देखकर कहा, “यह तो एक शीशा है, तस्वीर नहीं।"

तब बीरबल ने कहा, “शीशा ही बिना किसी गलती के आपको आपकी सही तस्वीर दिखाता है, है न ऐसा?"

व्यापारी शर्म से पानी-पानी हो गया।

उसने चित्रकार से क्षमा माँगी।

उसके प्रयत्नों के लिए उसे पारिश्रमिक भी दिया।