लंगड़ा घोड़ा

आगरा में एक रईस अपने घुड़दौड़ के घोड़े के साथ रहता था।

एक दिन घोड़ा लंगड़ाने लगा।

लंगड़ाने का कारण जानने के लिए रईस ने कई पशु-चिकित्सकों को बुलाया।

उन्होंने मोच, अस्थि-भंग, दर्द का कारण जानने की भरसक चेष्टा की पर उन्हें पैर में कोई गड़बड़ी नहीं मिली।

रईस के मित्र ने कहा, “बीरबल से मिलो और अपने घोड़े के विषय में बताओ।

वह बहुत बुद्धिमान है और किसी भी समस्या का निदान कर सकता है।"

रईस, बीरबल से मिला।

बीरबल ने घोड़े को देखकर पूछा, “पिछले कुछ दिनों या महीने में घोड़े से संबंधित कुछ बदलाव किया है क्या?"

रईस ने कहा, “ मैंने नया प्रशिक्षक रखा है।"

"क्या आपका घोड़ा नए प्रशिक्षक से प्रसन्न है?"

"अरे हाँ! नए प्रशिक्षक से वह बहुत प्रसन्न है। "

बीरबल ने पुन: पूछा, “क्या प्रशिक्षक लंगड़ाता है?"

"हूँऽऽ... हाँ, वह लंगड़ाता है।"

"इसीलिए आपका घोड़ा लंगड़ाता है।

घोड़ा अपने प्रशिक्षक की नकल करता है।

यहाँ तक कि मनुष्य भी पसंद आने पर उसी की नकल करता है।"

इसके बाद रईस ने नया प्रशिक्षक रखा।

कुछ ही दिनों में घोड़े की लंगड़ाहट समाप्त हो गई।