एक दिन सुबह-सुबह एक दरबारी ने आकर अकबर को बताया कि रात में उसकी बहुमूल्य वस्तुएँ उसके घर से चोरी हो गई हैं।
बीरबल ने कहा, “मुझे लगता है, यह कोई ईर्ष्यालु
दरबारी था जिसने चोरी की है।”
बीरबल ने दोषी को पकड़ने का निश्चय किया।
एक गधे को दरबार में लाकर उसने कहा, “यह चतुर गधा दोषी को पकड़ सकता है।
मैं इसे एक तम्बू में बाँध दूँगा।
सभी लोग गधे की पूँछ को पकड़कर बोलें, “मैंने बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं चुराई है।
गधा दोषी को स्पर्श से ही पहचान लेगा और उसे लात मारेगा।
इस प्रकार हम लोग चोर को पकड़ लेंगे।"
एक-एक कर दरबारी तंबू के भीतर गए और गधे की पूँछ पकड़कर बाहर आ गए।
बीरबल ने उनकी हथेली को देखा।
अलिम खान को छोड़कर सभी की हथेली पर काला रंग लगा था।
बीरबल ने गधे की पूंछ को काले रंग से रंग दिया था।
यह उसकी योजना थी। "महाराज! अलिम खान दोषी
है। पकड़े जाने के भय से उसने गधे की पूँछ पकड़ी ही नहीं थी।
वह कोई जादुई गधा नहीं था।
दोषी को पकड़ने के लिए मैंने कहानी गढ़ी थी।”
अलिम खान को हज़ार स्वर्ण अशर्फ़ियों का जुर्माना देना पड़ा और उसे नौकरी से निकाल दिया गया।