एक दिन अकबर और बीरबल घुड़सवारी करते हुए चारों ओर की हरियाली का मज़ा ले रहे थे।
अचानक अकबर ने कहा, “हरी-हरी घास और पेड़ों के बीच घुड़सवारी करने के लिए मुझे एक हरा घोड़ा चाहिए।
बीरबल, सात दिनों के भीतर हरा घोड़ा ढूँढो।
यदि असफल रहे, तो अपना चेहरा मुझे मत दिखाना।” बीरबल
हरे घोड़े की खोज में राज्य में घूमता रहा।
आठवें दिन दरबार में
पहुँचकर उसने कहा कि उसे हरा घोड़ा मिल गया है।
अकबर उत्साहित थे।
बीरबल ने कहा कि हरे घोड़े के मालिक की दो शर्तें थीं।
उत्सुकतापूर्वक अकबर ने पूछा, “क्या शर्तें हैं?”
“पहला, आपको अपने घोड़े से जाकर हरे घोड़े को लाना होगा।”
“यह तो आसान है। दूसरी शर्त क्या है?”
“चूंकि घोड़ा एक विशेष रंग का है, उसे लाने का दिन भी विशेष होना चाहिए।
घोड़े के मालिक ने सप्ताह के सात दिनों के अतिरिक्त किसी भी दिन आने के लिए कहा है।"
बीरबल की बुद्धिमता पर अकबर ठहाका मारकर हँस पड़ा।
वह समझ गया कि बीरबल को मूर्ख बनाना आसान नहीं है।