एक दिन अकबर के दरबारी एक मेले में थे।
अकबर और बीरबल दरबार में बैठे बातें कर रहे थे।
अकबर ने अपनी हथेलियों को ध्यान से देखा और कहा, "बीरबल, मुझे बताओ कि मेरे हाथ की हथेलियों पर बाल क्यों नहीं उगते हैं?"
बीरबल जानता था कि यह प्रश्न चालाकी पूर्ण था।
उसने कुछ पल सोचकर कहा, “महाराज! आपकी हथेलियाँ सदा आप के लोगों को दान तथा पुरस्कार देने में व्यस्त रहती हैं।
इसलिए हथेलियों पर बार-बार सिक्कों और रत्नों की रगड़ के कारण वहाँ बाल नहीं उग पाते हैं।"
अकबर मुस्कराए और फिर उन्होंने दूसरा सवाल पूछा, “यदि ऐसा है तो बीरबल, तुम्हारी हथेलियों पर कोई बाल क्यों नहीं है?”
“आपकी दयालुता के कारण महाराज!
आप सदा मुझे कुछ न कुछ उपहार में देते रहते हैं।
जब मैं उसे प्राप्त करता हूँ तब मेरी हथेलियाँ उस पुरस्कार से रगड़ खाती हैं।
इस कारण मेरी हथेलियों पर भी कोई बाल नहीं उगता
है।" बीरबल के चतुरतापूर्ण उत्तर से अकबर प्रसन्न हो गए और उसे पुरस्कृत किया।