बेईमान अधिकारी

एक दिन बीरबल ने कहा, “एक बेईमान व्यक्ति, किसी भी पद पर कार्यरत हो वह, रिश्वत अवश्य लेगा ।

" एक दरबारी उससे असहमत होते हुए बोला, “कुछ कार्य ऐसे हैं,

जिसमें रिश्वत लिया ही नहीं जा सकता।

एक भ्रष्ट

अधिकारी कैद में है। यमुना नदी की तरंगों को गिनने का कार्य उसे सौंपिए।

मुझे पूरा विश्वास है कि वह रिश्वत नहीं ले पाएगा।”

थोड़े समय के

बाद अकबर और बीरबल ने यह देखने का निर्णय किया कि वह अधिकारी अपना कार्य कैसा कर रहा है।

मछुआरे के रूप में वे यमुना नदी पहुँचे।

वह व्यक्ति इन्हें देखकर चिल्लाया, “तुम लोग वहाँ क्या कर रहे हो?"

बीरबल ने कहा, “हम मछली पकड़ना चाहते हैं।”

“पहले एक हज़ार स्वर्ण अशर्फ़ी दो।”

बीरबल ने कहा, “हमारे पास इतने पैसे नहीं है।"

"पचास स्वर्ण अशर्फ़ी ठीक है?"

उस अधिकारी के व्यवहार से चिढ़कर अकबर और बीरबल अपने असली रूप में आ गए।

अकबर ने अपने सिपाहियों को बुलाकर कहा, “इसे सौ कोड़े लगाकर कैद में डाल दो।"

फिर उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल, तुम सही थे।

एक बेईमान व्यक्ति कोई भी कार्य करे, रिश्वत लेने का तरीका निकाल ही लेता है। "