एक बार की बात है, एक दरबारी बीरबल से ईर्ष्या करता था।
वह अकबर के सामने यह प्रमाणित करना चाहता था कि उसे लोग जितना होशियार समझते हैं
उतना वह है नहीं, अत: बीरबल के दरबार में आने पर उस दरबारी ने खड़े होकर कहा, “महाराज!
मेरे प्रश्न का उत्तर केवल बीरबल ही दे सकता है।
मेरे सिर के बालों की सही-सही संख्या मैं उनसे जानना चाहता हूँ।
तभी मैं मानूँगा कि वह बुद्धिमान है।" बीरबल अपनी आँखें मूंदकर सोचने लगा।
कुछ देर के बाद बीरबल ने कहा, “तुम्हारे सिर पर निन्यानवे हज़ार नौ सौ निन्यानवे बाल हैं।”
दरबारी ने हँसकर कहा, “आ हाऽऽ, तुमने गलत कहा।
मेरे सिर पर मात्र छह हज़ार 6 सौ तिरसठ बाल हैं।
" अकबर ने कहा, “इस उलझन को कैसे सुलझाया जाए?"
बीरबल ने सुझाया, “नाई को बुलवाया जाए। वह दरबारी के सिर के बाल उतारेगा और हम सब बालों की सही संख्या
गिन लेंगे।” दरबारी निरुत्तर हो चुका था। उसे अपने बालों से बहुत प्यार था।
वह उन्हें खोना नहीं चाहता था, अतः उसने कहा, “महाराज, मैं बीरबल के उत्तर से सहमत हूँ।”