एक बार आगरा में एक महान संन्यासी आए।
बहुत शोरगुल हुआ।
उनसे आशीर्वाद लेने के लिए शहर के ढेरों लोग आने लगे।
अकबर ने अपनी उत्सुकता शांत करने के लिए बीरबल को छानबीन करने भेजा।
बीरबल ने उस व्यक्ति को बरगद के पेड़ के नीचे बैठा दिया।
चारों ओर से लोगों ने उसे घेर रखा था।
उसने केसरिया धोती पहनी हुई थी और दाढ़ी बढ़ी हुई थी।
पास जाकर ध्यान से बीरबल ने देखा कि वह व्यक्ति श्लोक की जगह पर कुछ अस्पष्ट-सा बड़बड़ा रहा था।
बीरबल तुरंत समझ गया कि वह कोई ढोंगी है।
बीरबल ने उस व्यक्ति के पास जाकर उसकी दाढ़ी में से एक बाल खींचा। वह चिल्लाया,
'आह... आउच.....।" बीरबल चिल्लाया, “मेरे पास स्वर्ग की चाबी है।
यह बहुत ही शक्तिशाली महात्मा हैं। यदि मैं उनकी
दाढ़ी का यह बाल रखूँगा तो मृत्यु के बाद मैं सीधा स्वर्ग जाऊँगा।”
यह सुनते ही लोग उस संन्यासी की ओर दौड़े और उसकी दाढ़ी का बाल खींचने लगे।
अंततः उसकी दाढ़ी ही निकल गई। तब लोगों को समझ में आया कि उन्हें धोखा दिया गया था।
बीरबल ने पहरेदारों को बुलाया। उन्होंने उसे पकड़कर कैद में डाल दिया।