बीरबल और राजगुरु के पूर्वज

राजगुरु नामक एक रईस आगरा में रहता था।

उसे गरीबों से सख्त घृणा थी। वह कभी उनकी

ओर देखा भी नहीं करता था।

इस बात का पता चलने पर बीरबल ने उससे यह

पूछा कि वह गरीबों से घृणा क्यों करता है।

राजगुरु ने कहा, “गरीबों से

अपशकुन होता है।

यदि मैं उनकी ओर देखूँगा तो अगले जन्म में मैं गधा बनकर जन्म लूँगा।

बीरबल ने राजगुरु को पाठ पढ़ाने की सोची।

कुछ दिनों के बाद अपने और अकबर के साथ गाँव के मेले में चलने के लिए राजगुरु को निमंत्रित किया।

शाही काफ़िला मेले के लिए जा रहा था।

बीरबल ने गधे के एक झुंड को एक बड़े पेड़ के नीचे आराम करते देखा।

रथ से बीरबल तुरंत उतरकर गधों के पास गया और उनका अभिवादन किया।

आश्चर्यचकित अकबर ने पूछा, "बीरबल, क्या बोल रहे हो?"

"महाराज! मैं राजगुरु के पूर्वजों को आदर दे रहा हूँ जिन्होंने भूलवश गरीबों को देख लिया था

और गधों के रूप में दोबारा जन्म लिया है।"

राजगुरु ने यह सुना तब उसे अपनी भूल का एहसास हुआ।

उसने बीरबल से वादा किया कि अब वह कभी भी गरीबों से घृणा नहीं करेगा।