मोतियों का पेड़

एक बार अकबर ने अपने दरबारियों से पूछा कि क्या उन्होंने कभी झूठ बोला था।

अकबर के क्रोध से दरबारी डर गए।

उन्होंने झूठ बोला कि उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला था। पर जब बीरबल ने झूठ बोलना स्वीकार

कर लिया तब अकबर ने बीरबल को सदा के लिए राज्य से चले जाने को

कहा। कुछ दिनों के बाद बीरबल, अकबर से मिलने आया।

अकबर को

बीरबल की कमी महसूस हो रही थी, इसलिए उसे देख वह बहुत प्रसन्न हुआ।

बीरबल ने कहा, “श्रीमान्, मैं राज्य छोड़कर जा रहा था।

तभी एक यात्री से मेरी मुलाकात हुई। उसने मुझे ये मोती दिए।

उसने कहा कि यदि इन्हें बोया जाए तो, मोतियों के वृक्ष होंगे।

" अकबर ने प्रसन्न होकर बीरबल को मोतियों को बोने के लिए कहा।

किन्तु बीरबल ने कहा, "जिसने कभी झूठ नहीं बोला हो वही इन्हें बो सकता है।

आपके दरबारी इन्हें बो सकते हैं।

" यह जानते हुए कि दरबारियों ने झूठ कहा था उन्होंने स्वयं ही उसे बोने से मना कर दिया।

तब बीरबल ने कहा, “ श्रीमान्, आप इसे बो दें क्योंकि आपने कभी झूठ नहीं बोला।"

"बीरबल, बचपन में मैंने बहुत झूठ बोले थे।”

अब अकबर को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने बीरबल को क्षमा कर दिया।