बीरबल, चोर और कुआँ

एक दिन एक जासूस ने बीरबल को बताया कि चोर उसके घर में चोरी करने की योजना बना रहे थे।

उसी रात बीरबल ने अपने बगीचे में कुछ आवाज़ सुनी।

अंधेरे में उसने झाँककर देखा तो तीन व्यक्यिों को

झाड़ियों में छिपा पाया। वह तुरंत समझ गया कि ये वही चोर थे जिनका

जिक्र जासूस ने किया था।

बीरबल ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा, “हमें अपनी बहुमूल्य वस्तुओं के प्रति सावधान रहना चाहिए।

कुछ चोर चोरी करने की चेष्टा कर सकते हैं।

हमें अपनी बहुमूल्य वस्तुओं को एक पेटी में रखकर पेटी कुएँ में डाल देनी चाहिए।

" चोरों ने उनकी बात सुनी।

कुछ देर बाद बीरबल एक पेटी लेकर गया और उसे कुएँ में डाल आया।

उसके वापस भीतर जाते ही चोरों ने कुएँ से पानी निकालना शुरू कर दिया।

सारी रात वे पानी निकालते रहे।

अंत में पौ फटते ही वे पेटी निकालने में सफल हो गए।

जब उन्होंने उसे खोला, तो उसे पत्थरों से भरा पाया।

तभी बीरबल अपने घर से बाहर निकल आया और बोला, “मेरे पौधों को सींचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

” चोर समझ गए कि बीरबल ने उन्हें मूर्ख बनाया था।

उन्होंने क्षमा माँगी और भाग खड़े हुए