अकबर और तैरता महल

एक दिन अकबर ने अपने दरबारियों से कहा, “कल रात स्वप्न में मैंने एक बहुत सुंदर महल देखा।

सोने और हीरों से बना महल हवा में तैर रहा था।

यदि कोई ऐसा महल बनाएगा तो मैं उसे हज़ार स्वर्ण मुद्राएँ पुरस्कार में दूँगा।"

अकबर के सलाहकारों ने उन्हें समझाने की चेष्टा की कि यह असम्भव है पर उसने किसी की भी नहीं सुनी।

हारकर उन्होंने बीरबल से सलाह माँगी।

कुछ दिनों के बाद एक गरीब व्यक्ति ने आकर अकबर से कहा, “महाराज! मेरा सारा पैसा चोरी हो गया है।

" अकबर ने पूछा, “किसने तुम्हारा पैसा चुराया?"

"महाराज ! कल रात आपने मेरा पैसा चुराया।

मैंने सपने में देखा कि आप मेरे घर आए और पाँच हज़ार स्वर्ण अशर्फ़ियाँ चुरा ले गए।”

“अरे मूर्ख! सपना भी क्या सच होता है?”

“यदि तैरते हुए महल का आपका स्वप्न सच हो सकता है तो मेरा क्यों नहीं?"

तब वह व्यक्ति अपने असली रूप

में आ गया। सभी ने देखा कि वह और कोई नहीं बीरबल था।

“महाराज! मैं आपको यह बताना चाहता था कि जो आपने चाहा है वह संभव नहीं है।”

“हाँ, बीरबल, मैंने अभी-अभी वह समझ लिया है।”