एक बार बीरबल दक्षिणी राज्य की ओर जा रहा था।
रास्ते में उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई।
उसने बताया कि वह भी दक्षिणी राज्य की ओर ही जा रहा था। उसने कहा, “इन रास्तों में
घने जंगल हैं। मुझे अकेले डर लगता है।
क्या मैं भी आपके साथ चल सकता
हूँ?” बीरबल ने सहमति दे दी।
उस रात बीरबल के सो जाने पर उस व्यक्ति
ने बीरबल की जेबें टटोंलीं पर उसे कोई पैसा नहीं मिला।
फिर उसने बीरबल के थैले में देखा, तो वहाँ भी कुछ नहीं मिला।
चोर अचंभित था। पौ फटी, उन्होंने अपनी यात्रा शुरू कर दी।
उस रात उस व्यक्ति ने फिर से अपना भाग्य आजमाने का निश्चय किया।
पर फिर भी उसे कुछ नहीं मिला।
अपनी मंजिल पर पहुँचने पर उस व्यक्ति ने स्वीकार किया, “मैं एक चोर हूँ।
मुझे जीवन में कभी हार नहीं मिली है।
कृपया मुझे बताइए कि आपने अपना धन कहाँ छिपाया था?
" बीरबल मुस्कराकर बोला, "हाँ, मैं जानता था कि तुम चोर हो।
इसलिए मैंने अपने पैसों को सबसे सुरक्षित जगह छिपा दिया था।"
"पर मैंने तो सभी जगह देखा था।"
" क्या तुमने अपनी तकिया के नीचे देखा था?
मुझे पता था कि तुम वहाँ नहीं देखोगे इसलिए मैंने वहीं छिपाया था।