बीरबल की बहादुरी का किस्सा

एक दिन बीरबल एक जंगल से होकर जा रहा था।

तभी उसने देखा कि एक जगह आग जलाकर उसके चारों ओर युद्ध के दिग्गज बैठे अपनी-अपनी बहादुरी की गाथा सुना रहे हैं।

एक सिपाही ने कहा, “मैंने अकेले ही दस-दस को मार गिराया था।"

दूसरे सिपाही ने कहा, “ओह! एक बार मैंने पूरी

सेना को युद्धक्षेत्र में दूर ही रखा हुआ था।" उसी समय एक सिपाही ने

बीरबल को देखा और बोला, “मेरी समझ से तुम्हारे जैसे दुबले-पतले व्यक्ति के पास कोई भी साहसिक कारनामा सुनाने के लिए होगा ही नहीं।”

“ओह! हाँ-हाँ, मेरे पास भी है एक ।" सभी ने एक स्वर में कहा, “अच्छा?

क्या है वह?" एक बार, मैं दूसरे राज्य में जा रहा था।

सड़क के किनारे एक बड़ा-सा तंबू लगा हुआ मैंने देखा।

उत्सुकतावश, मैं उस तंबू के भीतर गया, तो भीतर एक भयंकर डाकू को लेटे हुए देखा।

वह दशकों से पास के राज्यों में भय फैला रहा था।"

एक सिपाही ने पूछा, “तो तुमने क्या किया?" “मैंने अपनी तलवार निकाली, उसका पंजा काटा और भाग खड़ा हुआ।”

“हा हा हाऽऽऽ !!! पंजा... अगर मैं वहाँ होता, तो उसका सिर ही काट देता," दूसरे सिपाही ने कहा।

बीरबल ने कहा, “कोई और पहले यह काम कर चुका था।

उसके शरीर के बगल में उसका सिर पड़ा हुआ था।"