खर्च की शर्त

एक बार अकबर ने अपने दरबारियों की परीक्षा लेनी चाही।

सभी को सौ-सौ स्वर्ण मुद्राओं की थैली देकर अकबर ने कहा,

“तुम जैसे भी चाहो इन पैसों को अगले एक सप्ताह में खर्च कर सकते हो।

पर एक शर्त है।

हर बार अशर्फ़ी खर्च करने से पहले मेरा चेहरा देखना होगा।”

इस गज़ब की शर्त से दरबारी हैरान थे।

एक सप्ताह के बाद सभी दरबारी दरबार में इकट्ठे होकर अकबर से बोले कि उन्होंने दिए हुए पैसों में से एक भी मुद्रा खर्च नहीं की है।

तब बीरबल ने खड़े होकर कहा, “महाराज !

मैंने आपका दिया हुआ सारा पैसा खर्च कर दिया।”

“क्या? ऐसा तुम कैसे कर सकते हो?

क्या तुम्हें मेरी शर्त याद नहीं कि मेरा चेहरा देखने के बाद ही तुम धन खर्च कर सकते थे?”

“महाराज! मैंने शर्त पूरी की है।

हर बार खर्च करने के लिए जब मैं अशर्फ़ी निकालता था तब पहले मैं अशर्फ़ी पर बना हुआ आपका चेहरा देखा करता था।

इस प्रकार मैंने अपनी शर्त का पूरा ख्याल रखा था।

" बीरबल की हाज़िरजवाबी से अकबर प्रभावित हुए बिना न रह सके।

उन्होंने उसे अशर्फ़ी की एक और थैली दे दी।